है नमन उनको की जो यशकाय को अमरत्व देकर
इस जगत के शौर्य की जीवित कहानी हो गये
है नमन उनको की जिनके सामने बौना हिमालय
जो धरा पर गिर पडे पर आसमानी हो गये
पिता जिनके रक्त ने उज्जवल किया कुलवंश माथा
माँ वही जो दूध से इस देश की रज तोल आई
बहन जिसने सावनों मे भर लिया पतझड स्वँय ही
हाथ ना उलझ जाऐ, कलाई से जो राखी खोल लाई
बेटियाँ जो लोरियों में भी प्रभाती सुन रही थी
'पिता तुम पर गर्व है ' चुपचाप जाकर बोल आईं
प्रिया जिसकी चूडियों मे सितारे से टूटतें हैं
माँग का सिंदूर देकर जो सितारें मोल लाई
है नमन उस देहरी जिस पर तुम खेले कन्हैया
घर तुम्हारे परम तप की राजधानी हो गये
है नमन उनको की जिनके सामने बौना हिमालय
जो धरा पर गिर पडे पर आसमानी हो गये
हमने भेजे हैं सिकन्दर सिर झुकाए मात खाऐ
हमसे भिडते हैं हैं वो जिनका मन धरा से भर गया है
नर्क में तुम पूछना अपने बुजुर्गों से कभी भी
सिंह के दांतों से गिनती सीखने वालों के आगे
शीश देने की कला में क्या गजब है क्या नया है
जूझना यमराज से आदत पुरानी है हमारी
उत्तरों की खोज में फिर एक नचिकेता गया है
है नमन उनको की जिनकी अग्नि से हारा प्रभंजन
काल कऔतुक जिनके आगे पानी पानी हो गये
है नमन उनको की जिनके सामने बौना हिमालय
जो धरा पर गिर पडे पर आसमानी हो गये
लिख चुकी है विधि तुम्हारी वीरता के पुण्य लेखे
विजय के उदघोष, गीता के कथन तुमको नमन है
राखियों की प्रतीक्षा , सिन्दूरदानों की व्यथाऒं
देशहित प्रतिबद्ध यऔवन कै सपन तुमको नमन है
बहन के विश्वास भाई के सखा कुल के सहारे
पिता के व्रत के फलित माँ के नयन तुमको नमन है
है नमन उनको की जिनको काल पाकर हुआ पावन
शिखर जिनके चरण छूकर और मानी हो गये
कंचनी तन, चन्दनी मन , आह, आँसू , प्यार ,सपने,
राष्ट्र के हित कर चले सब कुछ हवन तुमको नमन है
है नमन उनको की जिनके सामने बौना हिमालय
जो धरा पर गिर पडे पर आसमानी हो गये
Monday, April 6, 2009
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है नमन उनको की जिनके सामने बौना हिमालय
ReplyDeleteजो धरा पर गिर पडे पर आसमानी हो गये
Good Karan... Beautiful lines are .
Wishes
Oh! Pata nahee thaa ki, itnee behtareen rachnaa padhne milegee..." lekin tujhe jhuktee thee Himalaykeebhee chotee..."in panktiyonkee yaad aa gayee...
ReplyDeleteAbhi to aapkee "follower" banna hoga..!
है नमन उनको की जो यशकाय को अमरत्व देकर
ReplyDeleteइस जगत के शौर्य की जीवित कहानी हो गये है ...
है नमन उनको की जिनके सामने बौना हिमालय
जो धरा पर गिर पडे पर आसमानी हो गये है ...
पिता जिनके रक्त ने उज्जवल किया कुलवंश माथा
माँ वही जो दूध से इस देश की रज तोल आई
बहन जिसने सावनों मे भर लिया पतझड स्वँय ही
हाथ ना उलझ जाऐ, कलाई से जो राखी खोल लाई
बेटियाँ जो लोरियों में भी प्रभाती सुन रही थी
'पिता तुम पर गर्व है ' चुपचाप जाकर बोल आईं
प्रिया जिसकी चूडियों मे सितारे से टूटतें हैं
माँग का सिंदूर देकर जो सितारें मोल लाई
है नमन उस देहरी जिस पर तुम खेले कन्हैया
घर तुम्हारे परम तप की राजधानी हो गये है ...
है नमन उनको की जिनके सामने बौना हिमालय
जो धरा पर गिर पडे पर आसमानी हो गये है ...
हमने भेजे हैं सिकन्दर सिर झुकाए मात खाऐ
हमसे भिडते हैं हैं वो जिनका मन धरा से भर गया है
नर्क में तुम पूछना अपने बुजुर्गों से कभी भी
सिंह के दांतों से गिनती सीखने वालों के आगे
शीश देने की कला में क्या गजब है क्या नया है
जूझना यमराज से आदत पुरानी है हमारी
उत्तरों की खोज में फिर एक नचिकेता गया है
है नमन उनको की जिनकी अग्नि से हारा प्रभंजन
काल कऔतुक जिनके आगे पानी पानी हो गये है ...
है नमन उनको की जिनके सामने बौना हिमालय
जो धरा पर गिर पडे पर आसमानी हो गये है ...
लिख चुकी है विधि तुम्हारी वीरता के पुण्य लेखे
विजय के उदघोष, गीता के कथन तुमको नमन है
राखियों की प्रतीक्षा , सिन्दूरदानों की व्यथाऒं
देशहित प्रतिबद्ध यऔवन कै सपन तुमको नमन है
बहन के विश्वास भाई के सखा कुल के सहारे
पिता के व्रत के फलित माँ के नयन तुमको नमन है
कंचनी तन, चन्दनी मन , आह, आँसू , प्यार ,सपने,
राष्ट्र के हित कर चले सब कुछ हवन तुमको नमन है
है नमन उनको की जिनको काल पाकर हुआ पावन
शिखर जिनके चरण छूकर और मानी हो गये है ...
है नमन उनको की जिनके सामने बौना हिमालय
जो धरा पर गिर पडे पर आसमानी हो गये है ...
Dr.Kumar Vishvas
www.kumarvishwas.com