Wednesday, April 22, 2009

जकल भारी तादाद में भोजपुरी फ़िल्में बन रही हैं। अगर हम ज़रा इतिहास में झांक कर देखें तो पता चलता है कि भोजपूरी फ़िल्मों का इतिहास भी बड़ा पुराना है। 'लागी नाही छूटे राम' एक बहुत ही मशहूर भोजपुरी फ़िल्म रही है जो सन् १९६३ में बनी थी। यह फ़िल्म 'मुग़ल-ए-आज़म' के साथ साथ रिलीज़ होने के बावजूद भी उत्तर और पूर्वी भारत में सुपरहिट रही। १९७७ की फ़िल्म 'नदिया के पार' भी एक कालजयी भोजपुरी फ़िल्म रही है। एक ज़माने में हिन्दी फ़िल्म जगत की बहुत मशहूर हस्तियाँ भोजपूरी सिनेमा से जुड़ी रही हैं। कुंदन कुमार निर्देशित इस फ़िल्म में नायक बने थे नासिर हुसैन साहब। हिन्दी फ़िल्म जगत के ऐसे दो मशहूर संगीतकार उस ज़माने मे रहे हैं जिनका भोजपुरी फ़िल्म संगीत में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। ये थे एस. एन. त्रिपाठी और चित्रगुप्त। फ़िल्म 'लागी नाही छूटे राम' में चित्रगुप्त का संगीत था। हमें पूरी पूरी उम्मीद है कि इस गीत को सुनने के बाद यह गीत आपके दिलोदिमाग़ में पूरी तरह से घर कर जाएगा, और इसकी मधुरता एक लम्बे अरसे तक आपके कानों में रस घोलती रहेगी। लता मंगेशकर और तलत महमूद की आवाज़ों में यह है मजरूह सुल्तानपूरी की गीत रचना और यह इस फ़िल्म का शीर्षक गीत भी है। "जा जा रे सुगना जा रे, कही दे सजनवा से, लागी नाही छूटे रामा चाहे जिया जाये, भयी ली आवारा सजनी, पूछ ना पवनवा से, लागी नाही छूटे रामा चाहे जिया जाये".

बिहार के लोक-संगीत में जो मिठास है, जो मधुरता है, उसका एक छोटा सा उदाहरण है यह गीत। दोस्तों, यह तो हमने आपको बता दिया कि इस गीत के संगीतकार हैं चित्रगुप्त, लेकिन क्या आपको यह पता है कि उनके दो संगीतकार बेटे आनंद और मिलिन्द ने जब फ़िल्म संगीत संसार में क़दम रखा तो अपने शुरूआती दौर की मशहूर फ़िल्म 'क़यामत से क़यामत तक' में एक गीत ऐसा बनाया जो हू-ब-हू इस भोजपूरी गीत की धुन पर आधारित था! अगर याद नही आ रहा तो मैं ही याद दिलाये देता हूँ, वह गीत था अल्का याग्निक का गाया "काहे सताये, काहे को रुलाये, राम करे तुझको नींद न आये"। केवल दो मिनट का वह गाना था और वह भी बिना किसी साज़ों का सहारा लेते हुए। कहिये, याद आ गया ना? तो चलिए पिता-पुत्र की संगीत साधना को सलाम करते हुए सुनते हैं । यह गीत मुझे भी बेहद पसंद है! by Old is Gold

4 comments:

  1. good karan
    ek acchi jankaari aapne apne blog par d hai... waise hamare UP mein bhojpuri filmon ka ek bahut bada market aur fan hain....
    Keep it up....

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  2. dehati film bhola thakur ka maja lo

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  3. हर पल याद करती हूँ
    हर सांस के साथ क्या?
    इक इक सांस मैं
    कई कई बार याद करती हूँ
    चलते वक़्त पायल के
    घुन्गरुओं की झंकार
    मैं आहट तुम्हारी सुनाई देती हैं
    फूलों की पत्तियों मैं
    सूरत तुम्हारी लगती हैं
    बारिश की बूंदों मैं
    अक्स जैसे तुम्हारा छलकता हैं
    बादलों मैं छिपा जैसे
    मेरा घनशयाम लगता हैं
    अग्नि की लपटों मैं
    जैसे मेरा मोहन सजता हैं
    मंद मंद वायु मैं
    जैसे तेरी मुस्कराहट सी आती हैं
    वो वंशी की मधुर मधुर धुन
    कानो मैं आती हैं
    पृथ्वी के हर जर्रे मैं
    छिपे जैसे बनवारी हैं
    मेरी हर धड़कन
    कई कई बार
    नाम कान्हा तेरा पुकारती हैं
    अब तो आ जाओ आ जाओ ना Ek Anjan sathi

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  4. very nice blog.....

    i have made a blog..
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    thank you..

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