Tuesday, May 5, 2009

  • भगवान की ओरसे पत्र

जैसे तुम सुबह उठते हो मैं तुम्हे देखता हू तथा
आशा करता हू कि तुम मुझसे कुछ शब्द कहोगे
मुझसे कुछ सलाह माँगॉगे या कल जो तुमहरे साथ
आच्छा हुआ उसके लिए शुक्रिया कहोगे पर क़ाम पर
जाने के लिए तुम ज़्यादा व्यस्त थे जब तुम घर से जाने
लगे तो मैने समझा की तुम कुछ देर के लिए रुकोगे
मुझे प्रणाम करोगे पर तुम व्यस्त थे कुछ पल ऐसे
भी आए के तुम्हारे पास करने को कुछ भी ना था
पर तुमने मुझे याद ना किया
दोपहर के भोजन से पहले तुमने इधर उधर देखा और मैने

सोचा की तुम्हे अपनी ग़लती का ज्ञान हो गया है
परंतु तुमने तो अपने दोस्तो के इंतजार मैं आस पास
देखा था और मुझसे बात नही की फिर भी कुछ वक़्त
बाकी था और मुझे आशा थी की तुम मुझसे बात करोगे

तुम घर वापस आए कुछ देर तुमने टी वी चलाया
मैने बड़े संयम के साथ दोबारा इंतजार किया
परन्तु तुम तो कामऔर कमाई मे इतने व्यस्तथे
के तुम्हे मुझसे बात करने की फुरशत ही नही थी
और तुम सो गये परन्तु सोचो के मैं अगर भूल गया तो
क्या होगा
चलो तुम दोबारा सुबह उठ रहे हो मैं दोबारा इंतजार करूँगा
सिर्फ़ प्यार के साथ..................
शुभ दिन