tag:blogger.com,1999:blog-44492708447205835182023-11-15T09:00:02.247-08:00karan ki duniakhwabo ki duniahttp://www.blogger.com/profile/16003877621041203619noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-4449270844720583518.post-73778999837351699292009-07-16T19:39:00.000-07:002009-07-16T19:40:44.923-07:00: कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं ,<br />तुम कह देना कोई ख़ास नहीं .<br /><br />एक दोस्त है कच्चा पक्का सा ,<br />एक झूठ है आधा सच्चा सा .<br />जज़्बात को ढके एक पर्दा बस ,<br />एक बहाना है अच्छा अच्छा सा .<br /><br />जीवन का एक ऐसा साथी है ,<br />जो दूर हो के पास नहीं .<br />कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं ,<br />तुम कह देना कोई ख़ास नहीं .<br /><br />हवा का एक सुहाना झोंका है ,<br />कभी नाज़ुक तो कभी तुफानो सा .<br />शक्ल देख कर जो नज़रें झुका ले ,<br />कभी अपना तो कभी बेगानों सा .<br /><br />जिंदगी का एक ऐसा हमसफ़र ,<br />जो समंदर है , पर दिल को प्यास नहीं .<br />कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं ,<br />तुम कह देना कोई ख़ास नहीं .<br /><br />एक साथी जो अनकही कुछ बातें कह जाता है ,<br />यादों में जिसका एक धुंधला चेहरा रह जाता है .<br />यूँ तो उसके न होने का कुछ गम नहीं ,<br />पर कभी - कभी आँखों से आंसू बन के बह जाता है .<br /><br />यूँ रहता तो मेरे तसव्वुर में है ,<br />पर इन आँखों को उसकी तलाश नहीं कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं ,<br />तुम कह देना कोई ख़ास नहीं .<br /><br />एक दोस्त है कच्चा पक्का सा ,<br />एक झूठ है आधा सच्चा सा .<br />जज़्बात को ढके एक पर्दा बस ,<br />एक बहाना है अच्छा अच्छा सा .<br /><br />जीवन का एक ऐसा साथी है ,<br />जो दूर हो के पास नहीं .<br />कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं ,<br />तुम कह देना कोई ख़ास नहींkhwabo ki duniahttp://www.blogger.com/profile/16003877621041203619noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-4449270844720583518.post-39694213781251085032009-05-05T00:30:00.000-07:002009-05-05T01:52:30.407-07:00<div style="text-align: justify; color: rgb(255, 0, 0);"><ul><li><span style="font-size:130%;"><span style="font-weight: bold;">भगवान की ओरसे पत्र </span> </span> </li></ul></div><br />जैसे तुम सुबह उठते हो मैं तुम्हे देखता हू तथा<br /> आशा करता हू कि तुम मुझसे कुछ शब्द कहोगे<br />मुझसे कुछ सलाह माँगॉगे या कल जो तुमहरे साथ<br />आच्छा हुआ उसके लिए शुक्रिया कहोगे पर क़ाम पर<br />जाने के लिए तुम ज़्यादा व्यस्त थे जब तुम घर से जाने<br />लगे तो मैने समझा की तुम कुछ देर के लिए रुकोगे<br />मुझे प्रणाम करोगे पर तुम व्यस्त थे कुछ पल ऐसे<br />भी आए के तुम्हारे पास करने को कुछ भी ना था<br />पर तुमने मुझे याद ना किया <br />दोपहर के भोजन से पहले तुमने इधर उधर देखा और मैने<br /><br />सोचा की तुम्हे अपनी ग़लती का ज्ञान हो गया है<br />परंतु तुमने तो अपने दोस्तो के इंतजार मैं आस पास<br />देखा था और मुझसे बात नही की फिर भी कुछ वक़्त<br />बाकी था और मुझे आशा थी की तुम मुझसे बात करोगे<br /><br />तुम घर वापस आए कुछ देर तुमने टी वी चलाया<br />मैने बड़े संयम के साथ दोबारा इंतजार किया<br />परन्तु तुम तो कामऔर कमाई मे इतने व्यस्तथे<br />के तुम्हे मुझसे बात करने की फुरशत ही नही थी<br />और तुम सो गये<span style="color: rgb(51, 51, 255);"> परन्तु सोचो के मैं अगर भूल गया तो </span><br /><span style="color: rgb(51, 51, 255);">क्या होगा</span><br />चलो तुम दोबारा सुबह उठ रहे हो मैं दोबारा इंतजार करूँगा<br />सिर्फ़ प्यार के साथ.................. <br /> शुभ दिनkhwabo ki duniahttp://www.blogger.com/profile/16003877621041203619noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-4449270844720583518.post-8906983188037999592009-04-22T05:28:00.000-07:002009-04-22T05:35:03.025-07:00<span style="font-size:180%;"><span style="font-weight: bold;">आ</span></span>जकल भारी तादाद में भोजपुरी फ़िल्में बन रही हैं। अगर हम ज़रा इतिहास में झांक कर देखें तो पता चलता है कि भोजपूरी फ़िल्मों का इतिहास भी बड़ा पुराना है। 'लागी नाही छूटे राम' एक बहुत ही मशहूर भोजपुरी फ़िल्म रही है जो सन् १९६३ में बनी थी। यह फ़िल्म 'मुग़ल-ए-आज़म' के साथ साथ रिलीज़ होने के बावजूद भी उत्तर और पूर्वी भारत में सुपरहिट रही। १९७७ की फ़िल्म 'नदिया के पार' भी एक कालजयी भोजपुरी फ़िल्म रही है। एक ज़माने में हिन्दी फ़िल्म जगत की बहुत मशहूर हस्तियाँ भोजपूरी सिनेमा से जुड़ी रही हैं। कुंदन कुमार निर्देशित इस फ़िल्म में नायक बने थे नासिर हुसैन साहब। हिन्दी फ़िल्म जगत के ऐसे दो मशहूर संगीतकार उस ज़माने मे रहे हैं जिनका भोजपुरी फ़िल्म संगीत में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। ये थे एस. एन. त्रिपाठी और चित्रगुप्त। फ़िल्म 'लागी नाही छूटे राम' में चित्रगुप्त का संगीत था। हमें पूरी पूरी उम्मीद है कि इस गीत को सुनने के बाद यह गीत आपके दिलोदिमाग़ में पूरी तरह से घर कर जाएगा, और इसकी मधुरता एक लम्बे अरसे तक आपके कानों में रस घोलती रहेगी। लता मंगेशकर और तलत महमूद की आवाज़ों में यह है मजरूह सुल्तानपूरी की गीत रचना और यह इस फ़िल्म का शीर्षक गीत भी है। "जा जा रे सुगना जा रे, कही दे सजनवा से, लागी नाही छूटे रामा चाहे जिया जाये, भयी ली आवारा सजनी, पूछ ना पवनवा से, लागी नाही छूटे रामा चाहे जिया जाये".<br /><br />बिहार के लोक-संगीत में जो मिठास है, जो मधुरता है, उसका एक छोटा सा उदाहरण है यह गीत। दोस्तों, यह तो हमने आपको बता दिया कि इस गीत के संगीतकार हैं चित्रगुप्त, लेकिन क्या आपको यह पता है कि उनके दो संगीतकार बेटे आनंद और मिलिन्द ने जब फ़िल्म संगीत संसार में क़दम रखा तो अपने शुरूआती दौर की मशहूर फ़िल्म 'क़यामत से क़यामत तक' में एक गीत ऐसा बनाया जो हू-ब-हू इस भोजपूरी गीत की धुन पर आधारित था! अगर याद नही आ रहा तो मैं ही याद दिलाये देता हूँ, वह गीत था अल्का याग्निक का गाया "काहे सताये, काहे को रुलाये, राम करे तुझको नींद न आये"। केवल दो मिनट का वह गाना था और वह भी बिना किसी साज़ों का सहारा लेते हुए। कहिये, याद आ गया ना? तो चलिए पिता-पुत्र की संगीत साधना को सलाम करते हुए सुनते हैं । यह गीत मुझे भी बेहद पसंद है! by Old is Goldkhwabo ki duniahttp://www.blogger.com/profile/16003877621041203619noreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-4449270844720583518.post-10341928525252485812009-04-18T23:26:00.000-07:002009-04-18T23:28:47.282-07:00<span style="font-size:85%;">मैं तुम्हे हर पल याद करती हूँ<br />हर सांस के साथ क्या?<br />इक इक सांस मैं<br />कई कई बार याद करती हूँ<br />चलते वक़्त पायल के<br />घुन्गरुओं की झंकार<br />मैं आहट तुम्हारी सुनाई देती हैं<br />फूलों की पत्तियों मैं<br />सूरत तुम्हारी लगती हैं<br />बारिश की बूंदों मैं<br />अक्स जैसे तुम्हारा छलकता हैं<br />बादलों मैं छिपा जैसे<br />मेरा घनशयाम लगता हैं<br />अग्नि की लपटों मैं<br />जैसे मेरा मोहन सजता हैं<br />मंद मंद वायु मैं<br />जैसे तेरी मुस्कराहट सी आती हैं<br />वो वंशी की मधुर मधुर धुन<br />कानो मैं आती हैं<br />पृथ्वी के हर जर्रे मैं<br />छिपे जैसे बनवारी हैं<br />मेरी हर धड़कन<br />कई कई बार<br />नाम कान्हा तेरा पुकारती हैं<br />अब तो आ जाओ आ जाओ ना Ek Anjan sathi<br /></span>khwabo ki duniahttp://www.blogger.com/profile/16003877621041203619noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-4449270844720583518.post-67693225787421300022009-04-13T04:12:00.000-07:002009-04-13T04:14:06.130-07:00<h3 class="post-title entry-title"> <a href="http://kuchhalagsa.blogspot.com/2009/03/blog-post_21.html">कुंभकर्ण, जिसे अपेक्षित सम्मान नहीं मिल पाया।</a> </h3> <div class="post-body entry-content"> कुंभकर्ण एक महान वैज्ञानिक, ईश्वर भक्त, अपनी जाति और परिवार को अपनी जान से भी ज्यादा चाहने वाला एक प्रचंड योद्धा था। परंतु रावण के प्रभामंडल में गुम तथा एक पराजित पक्ष का सदस्य होने के कारण उसे अपेक्षित सम्मान नहीं मिल पाया। जबकि उसी की उपलब्धियों के कारण रावण अपना साम्राज्य चारों ओर फैला सका था। कुंभकर्ण महीनों एकांत में, अपने परिवार और जनता से दूर, रह कर तरह-तरह के आविष्कारों को मूर्तरूप देने में लगा रहता था। इसीलिए उसके बारे में यह बात प्रचलित हो गयी थी कि वह महीनों सो कर गुजारता है।<br />अलग-अलग भाषाओं में, अलग-अलग स्थानों में लिखी गयी रामायणों में यथा वाल्मीकि रामायण, कम्ब रामायण, आध्यात्म रामायण, गाथा राम-रावण में तथ्यों के आधार पर कुंभकर्ण की उपलब्धियों का विस्तृत वर्णन किया गया है।<br />कुंभकर्ण शुरु से ही सात्विक विचारों वाला कट्टर शिवभक्त था। शिव जी ने उसे अनेकों सिद्धियां प्रदान की हुई थीं। इसके अलावा महर्षि भारद्वाज ने उसे निद्रा पर काबू पाने का रहस्य बताया हुआ था जिससे वह दिन-रात अपने वैज्ञानिक प्रयोगों में जुटा रहता था। उसने अपने बल-बूते पर तरह-तरह के अंतरिक्ष यान, अतिशय तेज गति वाले तथ, भयंकर क्षमता वाले अस्त्र-शस्त्रों का आविष्कार कर लंका की सेना को अजेय बना दिया था। इतना ही नहीं इसके साथ-साथ सैंकड़ों विद्यार्थीयों को निपुण बनाने के लिए उसने कयी प्रयोगशालाएं, अपनी देख-रेख में संचालित कर रखी थीं। एक बार दोनों भाईयों ने शिव जी को आमंत्रित कर अपने सारे संस्थान और प्रयोगशालाएं दिखलाई थीं जिससे खुश होकर उन्होंने दोनों को आशीर्वाद दिया था पर साथ ही साथ आदेश भी दिया था कि इन सारी उपलब्धियों का सदुपयोग धरती के जीवों की भलाई के लिये ही किया जाय इसी में जगत की भलाई है।<br />पर जैसा की हर चीज का अंत होता है। इस फलती-फूलती सभ्यता का भी सर्वनाश, रावण के अहम और उसकी बहन शूर्पणखा की चारित्रिक दुर्बलता के कारण हो गया। शूर्पणखा के तथाकथित अपमान का बदला लेने के लिए जब रावण सीता जी को उठा कर ले आया और युद्ध ने तहस-नहस मचा दी तो रावण ने कुंभकर्ण को समर में अपने आयूधों के साथ उतरने की आज्ञा दी। कुंभकर्ण ने उसे बहुत समझाया तथा सीता जी को वापस भेजने की सलाह भी दी पर रावण ने उसकी एक ना सुनी उल्टे उसे धिक्कारते हुए कायर तक कह डाला। तब मजबूर हो कर कुंभकर्ण ने युद्ध करने का निश्चय किया और यहीं से राक्षस वंश के विनाश की नींव पड़ गयी।<br />युद्धक्षेत्र में कुंभकर्ण के आते ही तहलका मच गया। उसके यंत्रों का कोई तोड़ किसी के पास नहीं था। वानर सेना तिनकों की भांति बिखर कर रह गयी। तब विभीषण अपने बड़े भाई से मिलने गये। विभीषण को सामने देख कुंभकर्ण ने उन्हें अपनी विवशता बताई। उसने कहा कि रावण की गलत आज्ञा माननी पड़ी है मुझे। अब मेरा मोक्ष श्री राम के ही हाथों हो सकता है। यदि वे मेरे अस्त्रों को किसी तरह गला सकें तो मेरी मृत्यु निश्चित है।<br />ऐसा ही किया गया। राम जी ने अपने मंत्रपूत बाणों से कुंभकर्ण और उसके यत्रों को नष्ट कर दिया। इस प्रकार एक महान वैज्ञानिक का दुखद अंत हो गया। उसके काम को आगे बढाने वाला भी कोई नहीं था क्योंकि उसका एकमात्र पुत्र सुमेतकेतु पहले से ही संन्यास धारण कर वनगमन कर चुका था। </div> <div class="post-footer"> <div class="post-footer-line post-footer-line-1"><span class="post-author vcard"></span><span class="post-icons"><span class="item-control blog-admin pid-1126461249"></span></span></div></div><div id="sidebar-wrapper"><div class="sidebar section" id="sidebar"><div class="widget Followers" id="Followers1"><br /><div id="Followers1-wrapper"> <div style="margin-right: 2px;"> <script type="text/javascript" src="http://www.google.com/friendconnect/script/friendconnect.js"> </script> <div class="gadgets-gadget-container" id="div-1239620103129" style="border: 1px solid 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468px;"></ins></ins> <h1><a title="Permanent Link to Wo Khuwaab thaa" href="http://www.lovelysms.com/blog/ghazal-sms/wo-khuwaab-thaa" rel="bookmark">Wo Khuwaab thaa</a></h1>Wo Khuwaab thaa bikhar gayaa Khayaal thaa milaa nahin<br />magar iss dil ko kyaa huaa, kyon bujh gayaa pataa nahin <p>har ek din udaas din tamaam shab udaasiyaan<br />kisi se kyaa bichar gaye k jaise kuchh bachaa nahin</p> <p>wo saath thaa to manzilen nazar nazar chiraaG thin<br />qadam qadam safar mein ab koii bhii lab duaa nahin</p> <p>ham apane is mizaaj mein kahin bhii ghar na ho sake<br />kisii se ham mile nahii.n kisii se dil milaa nahin</p> <p>hai shor-saa taraf taraf ki sarahadon kii jang mein<br />zamii.n pe aadamii nahii.n falak pe kyaa Khudaa nahin</p>khwabo ki duniahttp://www.blogger.com/profile/16003877621041203619noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-4449270844720583518.post-69351113392567407012009-04-07T04:35:00.000-07:002009-04-07T04:36:11.723-07:00<p>Jab Karta hai dil Mitaneko gaam.<br />Tab karlo ek botal daru ko khatam<br />Jab birthdays ho, ya kisiki party ho<br />jab shadi ho , ya dil ka barbadi ho<br />Jab karta hai dil mananeko jasan<br />tab karlo ek botal daru ko khatam</p> <p>Ladki patayi thi mein ne karta tha romance<br />chodke chali gayee yo bangaya tha mein lass<br />Akela padgaya mein jineka natha koi asa<br />Tab ek dost sey milla mujhe daru pey bhorosha.<br />Bhulakey sarey gaam mein ney daru appnai<br />Daru sa na koi , yeah sach hai mera bhai.</p> <p>So jab karta hai dil honey ko garam<br />tab karlo ek bottle daru ko khattam<br />Koi tedha ho , ya phir edda ho<br />saath mein panee ho , ya phir soda ho<br />Jab karta hai dil bhulane ko tension<br />tab karlo daru ka ek bottle khattam</p> <p>baap ne bheja tha , mujhe karne ko padhai<br />exam mein fail hua badi dant mein ne khai<br />saab bhulake mein chaldiya bar<br />peeta raha jabtak raat na hua paar<br />Tul hoke mein hostel ko aya<br />Doston ki agaey badi role dikhlaya</p> <p>Kyun bhai kyun tumko ata hai saram<br />karna hai to karlo daru ka ek bottle khattam<br />man mein khusi ho , ya phir ho gam<br />Bottal mein vodka ho , ya phir ho rum<br />Kyun bhai kyun , udas hai tera maan<br />karna hai to karley daru ka bottle khattam</p> <p>Pass ho gaya mein , lag gaya ek job<br />phir se ho gaya mujhe ek ladki sey love<br />Sadi kili mein ney , biwi thi ek maal<br />sukh mein katey mera do tin saal<br />Sadi ka laddo khakey pachtaya<br />Daru peekey mein din raat gidgidaya</p> <p>Jab bhulaney ko hai thujhey pichla karam<br />karna hai to karley ek bottle daru ko khattam<br />koi sath ho , ya na saath ho<br />chahey din ho , ya phir raat hao<br />Jaab badhaney ko hai tujhe apni wajan<br />karna hai to karley ek daru ka bottle khatam</p> <p>PiPi key daru mera lever hua kharab<br />Doctor ney mana kiya peene ko saarab<br />Ghar chala aya mein doctor ka bat na mani<br />Jaldi hi khatam honey wali apni yeah kahani<br />Sach kehe raha huun mein , akhri sansh hai mera bhai<br />Daru ka yeah dasstan mein hai baadi saachai</p> <p>SO JAb kare dil tujhe , marney ko sanam<br />tab karley ek bottle daru ko khattam</p> <p><br /></p>khwabo ki duniahttp://www.blogger.com/profile/16003877621041203619noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-4449270844720583518.post-10602464609347924612009-04-06T08:53:00.000-07:002009-04-06T09:03:16.624-07:00है नमन उनको की जो यशकाय को अमरत्व देकर<br />इस जगत के शौर्य की जीवित कहानी हो गये<br />है नमन उनको की जिनके सामने बौना हिमालय<br />जो धरा पर गिर पडे पर आसमानी हो गये<br /><br /><br />पिता जिनके रक्त ने उज्जवल किया कुलवंश माथा<br />माँ वही जो दूध से इस देश की रज तोल आई<br />बहन जिसने सावनों मे भर लिया पतझड स्वँय ही<br />हाथ ना उलझ जाऐ, कलाई से जो राखी खोल लाई<br />बेटियाँ जो लोरियों में भी प्रभाती सुन रही थी<br />'पिता तुम पर गर्व है ' चुपचाप जाकर बोल आईं<br />प्रिया जिसकी चूडियों मे सितारे से टूटतें हैं<br />माँग का सिंदूर देकर जो सितारें मोल लाई<br />है नमन उस देहरी जिस पर तुम खेले कन्हैया<br />घर तुम्हारे परम तप की राजधानी हो गये<br />है नमन उनको की जिनके सामने बौना हिमालय<br />जो धरा पर गिर पडे पर आसमानी हो गये<br /><br /><br />हमने भेजे हैं सिकन्दर सिर झुकाए मात खाऐ<br />हमसे भिडते हैं हैं वो जिनका मन धरा से भर गया है<br />नर्क में तुम पूछना अपने बुजुर्गों से कभी भी<br />सिंह के दांतों से गिनती सीखने वालों के आगे<br />शीश देने की कला में क्या गजब है क्या नया है<br />जूझना यमराज से आदत पुरानी है हमारी<br />उत्तरों की खोज में फिर एक नचिकेता गया है<br />है नमन उनको की जिनकी अग्नि से हारा प्रभंजन<br />काल कऔतुक जिनके आगे पानी पानी हो गये<br />है नमन उनको की जिनके सामने बौना हिमालय<br />जो धरा पर गिर पडे पर आसमानी हो गये<br /><br />लिख चुकी है विधि तुम्हारी वीरता के पुण्य लेखे<br />विजय के उदघोष, गीता के कथन तुमको नमन है<br />राखियों की प्रतीक्षा , सिन्दूरदानों की व्यथाऒं<br />देशहित प्रतिबद्ध यऔवन कै सपन तुमको नमन है<br />बहन के विश्वास भाई के सखा कुल के सहारे<br />पिता के व्रत के फलित माँ के नयन तुमको नमन है<br />है नमन उनको की जिनको काल पाकर हुआ पावन<br />शिखर जिनके चरण छूकर और मानी हो गये<br /><br />कंचनी तन, चन्दनी मन , आह, आँसू , प्यार ,सपने,<br />राष्ट्र के हित कर चले सब कुछ हवन तुमको नमन है<br />है नमन उनको की जिनके सामने बौना हिमालय<br />जो धरा पर गिर पडे पर आसमानी हो गयेkhwabo ki duniahttp://www.blogger.com/profile/16003877621041203619noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-4449270844720583518.post-5327661258422728052009-03-24T02:17:00.000-07:002009-03-24T02:29:53.821-07:00तू सही<br />मैं ग़लत ,<br />मैं सही<br />तू ग़लत ,<br />कब तक लड़े<br />यूँ ज़िंदगी से<br />चलो यूं ही<br />बेवजह जीने का<br />एक समझौता कर लेते हैं !!<br /><br />by kuchh yu hikhwabo ki duniahttp://www.blogger.com/profile/16003877621041203619noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-4449270844720583518.post-87776797046604393412009-03-22T06:42:00.000-07:002009-03-22T06:50:32.813-07:00ना वक़्त है ना कोई अवसर<br />ना मंज़िल है ना कोई सफ़र<br />ना प्रीत है ना कोई प्रीतम<br />ना सुर है ना कोई सरगम<br />ना राम है ना कोई अली<br />जो है सब कुछ है खालीkhwabo ki duniahttp://www.blogger.com/profile/16003877621041203619noreply@blogger.com5